International Journal of Literacy and Education
2022, Vol. 2, Issue 2, Part A
व्यक्तित्त्व विकास के लिए योगशिक्षा
Author(s): डॉ. प्रदीप कुमार झा
Abstract: आज के बदलते सामाजिक परिपेक्ष्य में व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास एक बड़ी चुनौती हो गई है। बार-बार पाठ्यक्रमों में परिवर्तन करने के बाद भी हम मनुर्भव (श्रेष्ठ नागरिक) की प्राचीन संकल्पना को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं छात्रों का एकाङ्गी विकास तो हो रहा है परन्तु सर्वाङ्गीण नहीं। इसी एकाङ्गी विकास के कारण राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास नहीं हो पा रहा है और हम आज फिर से विश्वगुरु बनने से वञ्चित रह गए हैं। भारत सरकार ने इसलिए राष्ट्रिय शिक्षा नीति २०२० में प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में विभिन्न विषयों के अध्ययन अध्यापन एवं अनुसंधान पर विशेष बल दिए जाने की बात कही है। इसलिए आज योग को शिक्षा के सभी स्तरों पर सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक रूप से अनुप्रयोग में लाने की जरूरत है ताकि मानव के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास की अवधारणा को प्राप्त किया जा सके। योग के द्वारा छात्रों को मृत्यु से अमरत्व, अज्ञान से यथार्थ ज्ञान, अन्धकार से आलौकिक प्रकाश की ओर ले जाया जा सकता है। योग के द्वारा ही मानव में शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का सम्पूर्ण सञ्चार किया जा सकता है जिससे न केवल व्यक्ति का बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र का शाश्वत विकास सम्भव हो सकेगा।
Pages: 60-66 | Views: 78 | Downloads: 41Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
डॉ. प्रदीप कुमार झा. व्यक्तित्त्व विकास के लिए योगशिक्षा. Int J Literacy Educ 2022;2(2):60-66.