बिहार राज्य में महिला शिक्षा के समक्ष चुनौतियां एवम किए गए प्रयास
Author(s): अंकिता कुमारी और डॉ सपना शर्मा
Abstract: शिक्षा हमेशा से आर्थिक और सामाजिक विकास की नींव रही है और यह 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्थाओं के लिए आवश्यक होगी। शिक्षा स्वयं को कई तरह से प्रकट करती है जैसे संज्ञानात्मक सोच, सकारात्मक विचार प्रणाली आदि। यह समाज के लिए कल्याण लाती है। महिलाओं की शिक्षा न केवल सामाजिक न्याय के आधार पर महत्वपूर्ण है, बल्कि इसलिए भी कि यह सामाजिक परिवर्तन को गति देती है। साक्षरता का स्तर और शैक्षिक प्राप्ति किसी भी समाज के विकास के महत्वपूर्ण संकेतक हैं और हम किसी भी समाज के विकास में ग्रामीण महिलाओं को बाहर नहीं कर सकते क्योंकि वे समाज की प्रगति में और बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था में समान रूप से योगदान करते हैं।बिहार (2004-14) में पिछले दशक में शिक्षा में असाधारण विकास हुआ है। बिहार सरकार द्वारा राज्य में शैक्षिक सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने के प्रयास सकारात्मक बदलाव के संकेत दे रहे हैं। 2001-11 के दौरान बिहार में महिला साक्षरता दर में सुधार (20 प्रतिशत अंक) सबसे अधिक था, जो उस अवधि के दौरान भारत के किसी भी राज्य द्वारा हासिल किया गया था। यद्यपि बढ़ती साक्षरता दर कुछ सकारात्मक परिणाम दिखा रही है, फिर भी साक्षरता को एक शिक्षित समाज का एकमात्र संकेत नहीं माना जा सकता है। दूसरी ओर बिहार में शिक्षा दर शहरी और ग्रामीण महिला (शहरी महिला साक्षरता 72.6% और ग्रामीण महिला साक्षरता 49.6% है) के साथ-साथ पुरुष और महिला आबादी के बीच व्यापक अंतर की विशेषता है। इस पत्र का उद्देश्य ग्रामीण बिहार की महिला शिक्षा स्तर की वर्तमान स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना है और यह पत्र इससे जुड़े विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों पर भी प्रकाश डालेगा। इस पत्र का अंतिम उद्देश्य इन सभी बाधाओं से निपटने के लिए कुछ उपायों का प्रदर्शन करना है।
अंकिता कुमारी और डॉ सपना शर्मा. बिहार राज्य में महिला शिक्षा के समक्ष चुनौतियां एवम किए गए प्रयास. Int J Literacy Educ 2022;2(2):131-138. DOI: 10.22271/27891607.2022.v2.i2b.92