International Journal of Literacy and Education
2023, Vol. 3, Issue 1, Part A
माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का उनकी शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ
Author(s): डाॅ. सà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सिंह सिनसिनवार, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ वरà¥à¤®à¤¾
Abstract: शिकà¥à¤·à¤¾ किसी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° या समाज के सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯, वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ की हकीकत तथा अतीत के अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ पर आधारित होता है। जिसपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ शरीर के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में शà¥à¤¦à¥à¤§ रकà¥à¤¤ का संचार करने वाली धमनियों का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है उसीपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जीवन के सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण विकास में शिकà¥à¤·à¤¾ का अपरिहारà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ होता है। शिकà¥à¤·à¤¾ मानव जीवन के लिठविकास की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है। शिकà¥à¤·à¤¾ मानव की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿, आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥€à¤•à¤°à¤£ और उसकी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤• कà¥à¤‚जी है। शिकà¥à¤·à¤¾ की तड़प आंतरिक पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ और मानव संसाधन विकास में सहायक है। इसपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शिकà¥à¤·à¤¾ मानव जाति के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ संवरà¥à¤§à¤¨ के लिठà¤à¤µà¤‚ गरà¥à¤µ के साथ जीवित रहने के लिठà¤à¤• सततॠपà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है। शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤• निरनà¥à¤¤à¤° चलने वाली पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को बदलते सामाजिक परिवेश में ढालकर उसके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में निखार लाती है। सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ का सृषà¥à¤Ÿà¤¾ है। वह परम आतà¥à¤®à¤¾ है और उसमें सूकà¥à¤·à¥à¤® सृजनातà¥à¤®à¤• योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤à¤ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। उसने हम सब को तथा पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की सà¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को बनाया है। हम सब उसी की सृषà¥à¤Ÿà¤¿ हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हम उस परमातà¥à¤®à¤¾ के अंश हैं, इसलिठहममें सृजनातà¥à¤®à¤• योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤à¤ à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं।हम में से कई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में उचà¥à¤š सà¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ सृजनातà¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤à¤ होती हैं और यही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कला, साहितà¥à¤¯, विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°, शिकà¥à¤·à¤£ आदि विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मानवीय कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में संसार का नेतृतà¥à¤µ करते हैं। पहले सामानà¥à¤¯ लोगों का यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था कि उपलबà¥à¤§à¤¿ के लिठकेवल बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है। किनà¥à¤¤à¥ इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में हà¥à¤ अनà¥à¤¸à¤¨à¥à¤§à¤¾à¤¨ इस तरफ संकेत करते हैं कि बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का योगदान 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से à¤à¥€ कम है। इसका मतलब है कि 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से à¤à¥€ अधिक बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के अलावा अनà¥à¤¯ कारकों का à¤à¥€ योगदान है। इन कारकों में गैर बौदà¥à¤§à¤¿à¤•(non-intellectual) बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, सामाजिक बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, सांवेगिक बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के अलावा विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के शारीरिक à¤à¤µà¤‚ समाज मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• कारकों तथा सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का नाम आता है जो शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करती हैं। विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का गà¥à¤£ रहता है तथा इनका उचà¥à¤š व निमà¥à¤¨ सà¥à¤¤à¤° उनकी शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ पर परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ डालती है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोध माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का उनकी शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ पर पड़ने वाले पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने के लिठकिया जाà¤à¤—ा। शोध की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ है कि माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का उनकी शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ पर कोई सारà¥à¤¥à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ता। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोध में शोधकतà¥à¤°à¥à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ हेतॠसरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ विधि का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया। शोध हेतॠनà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤°à¥à¤¶ के रूप में माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° के 200 विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ (100 छातà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ 100 छातà¥à¤°à¤¾à¤à¤) को लिया गया है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोध à¤à¤°à¤¤à¤ªà¥à¤° शहर के माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तक ही सीमित है। छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ के आà¤à¤•à¥œà¥‹à¤‚ के संगà¥à¤°à¤¹à¤£ हेतॠबाकर मेंहदी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ “सरà¥à¤œà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• चिनà¥à¤¤à¤¨ का शाबà¥à¤¦à¤¿à¤• परीकà¥à¤·à¤£â€™â€™ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया है तथा शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ के लिठविदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के गत वरà¥à¤· के पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¾à¤‚कों का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ को लिया गया है। साà¤à¤–à¥à¤¯à¤¿à¤•à¥€à¤¯ विधियों के रूप में मधà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨, मानक विचलन तथा टी-परीकà¥à¤·à¤£ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया है। सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤ªà¤¨à¥€ पर पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ के उपरानà¥à¤¤ निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· रूप में पाया कि माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का उनकी शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ पर कोई सारà¥à¤¥à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ता। शोध से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिà¤, पालकों के लिà¤, शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚, शिकà¥à¤·à¤¾ नीति निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚, पà¥à¤°à¤¬à¤‚धकों तथा à¤à¤¾à¤µà¥€ शोधकरà¥à¤¤à¤¾à¤“ं आदि के लिठउपयोगी साबित होंगे।
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डाॅ. सà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सिंह सिनसिनवार, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ वरà¥à¤®à¤¾. माधà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का उनकी शैकà¥à¤·à¤¿à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ. Int J Literacy Educ 2023;3(1):31-34.