International Journal of Literacy and Education
2023, Vol. 3, Issue 2, Part B
प्रारंभिक बचपन के बौद्धिक विकास पर शैक्षिक संसाधनों का प्रभाव संभलजनपदके 3 से 6 बर्षकेबालकोंका मनोविश्लेषणात्मकअध्ययन
Author(s): आसमां खातून एवं डॉ0 नीलू सिंह
Abstract: डा0 हेवार्ड के अनुसार प्रभृत्त विद्वान शिक्षा को अत्यन्त प्रभावशाली साधन मानते है। वस्तुतः शिक्षा एक उपयुक्त वातावरण है। उनका कथन है कि वंशानुक्रम चाहे जैसा हो यदि उपयुक्त शिक्षा दी जाएगी, तो बालक के व्यक्तित्व का निर्माण हम अपनी इच्छानुसार कर सकते है। कुछ विद्वान ठीक इसके बिरुद्ध बालक के निर्माण का सारा श्रेय वंशानुक्रम को ही देते है। इन दोनो अनिवार्य दृष्टिकोणों के साथ इन महोदय का मध्यवर्गीय दृष्टिकोण भी है, जो कही अधिक वैज्ञानिक और शुद्ध है। उनका विश्वास है कि बालक का स्थान अपने विकास में स्वयं सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। वह अपने वंशानुक्रमीय गुणो को उपयुक्त शिक्षा के माध्यम से सदुपयोग कर सुन्दर व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता है। इस अध्ययन के अन्तर्गत बच्चो का जो अपने आप सारा कार्य स्वयं करते है या नही करते है? तो उनकी संख्या इस प्रकार है। प्राथमिक में 30% एवं मदरसा मे भी 30% विद्यार्थी स्वयं अपना कार्य करना पसन्द करते है कुछ विद्यार्थी स्वयं पढ़ना पसन्द समझते है। प्राथमिक 25% एवं मदरसा के 20% है। सहयोग के द्वारा भी विद्यार्थी पढ़ना पसन्द समझते है। 10% प्राथमिक एवं 4% मदरसा मे क्रमशः अपना वस्त्र स्वयं पहनने वालो में विद्यार्थियों की संख्या प्राथमिक एवं मदरसा दोनो मिलाकर 13% है।
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आसमां खातून एवं डॉ0 नीलू सिंह. प्रारंभिक बचपन के बौद्धिक विकास पर शैक्षिक संसाधनों का प्रभाव संभलजनपदके 3 से 6 बर्षकेबालकोंका मनोविश्लेषणात्मकअध्ययन. Int J Literacy Educ 2023;3(2):98-107.