International Journal of Literacy and Education
2024, Vol. 4, Issue 1, Part A
ओमिश परूथी के सामाजिक यथार्थवादी कार्यों का विश्लेषण
Author(s): मोनिका
Abstract: ओमीश परुथी ने हिंदी के आधुनिक लेखन को नई दिशा व नया भाव बोध और नई भंगिमा व कलेवर प्रदान कर हिंदी साहित्य में विशेष रूप से काव्य जगत में एक विशिष्ट स्थान अर्जित किया है। उन्होंने मानवीय स्वतंत्रता और नैतिक ईमानदारी के लिए आदमी को प्रबुद्ध किया है। व्यष्टि व समष्टि के बीच सुंदर सामंजस्य स्थापित करते हुए परुथी जी ने अपनी सृजनात्मकता को सार्थक किया है। उनका साहित्यिक योगदान हिंदी जगत के सुधी पाठकों के लिए अविस्मरणीय रहेगा। वे एक सहृदय कवि, यथार्थवादी कथाकार, प्रबुद्ध समीक्षक व अनुभवी संपादक हैं।किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व-निर्माण में शिक्षा एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि जितना महत्व रखती है, उससे कहीं अधिक महत्व रखते हैं परिवेशगत एवं रचनागत प्रभाव। सामाजिक संघर्ष, समसामयिक परिवेश और सबसे अधिक आत्मचेतना यानी अपनी उपस्थिति में सभी महीन तत्व मिलकर व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। परुथी जी ऐसे साहित्यकार हैं, जिनकी रचनाएँ साहित्य और समाज में शुभ घटना की तरह प्रकट होती हैं और कलात्मक व भावनात्मक उत्तेजना के लिए प्रबुद्ध पाठक वर्ग को लगातार आश्वस्त करती हैं। सामाजिक यथार्थ का अभिप्राय समाज का सत्य है, जिसमें समाज के अच्छे-बुरे दोनों पक्षों का चित्रण किया जाता है। सामाजिक यथार्थ में समाज का यथा रूप, जैसा है वैसा ही चित्रण किया जाता है। सामाजिक यथार्थवाद का लक्ष्य समाज की दयनीय स्थिति, दुर्बलताओं, विषमताओं आदि का वास्तविक रूप समाज के सामने प्रस्तुत करना है। सामाजिक यथार्थवादी रचनाकार व्यक्ति और समाज के संबंध, आर्थिक व नैतिक अवस्थाओं का मूल्यांकन तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर करता है।
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How to cite this article:
मोनिका. ओमिश परूथी के सामाजिक यथार्थवादी कार्यों का विश्लेषण. Int J Literacy Educ 2024;4(1):14-17.