International Journal of Literacy and Education
2025, Vol. 5, Issue 1, Part C
गुरु घासीदास जी के सतवाणी का सामाजिक प्रभाव: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): के. एल. टण्डन, डॉ. अजय शुक्ल
Abstract: गुरु घासीदास जी भारतीय समाज में सामाजिक समानता, अहिंसा, और नैतिकता के प्रचार-प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व रहे हैं। उन्होंने 18वीं शताब्दी में छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथ की स्थापना की, जो जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन था। उनकी शिक्षाएँ, जिन्हें सतवाणी के रूप में संकलित किया गया है, सामाजिक न्याय, सत्य, करुणा और नैतिक आचरण को केंद्र में रखती हैं। इस शोध पत्र में गुरु घासीदास जी के सामाजिक दर्शन और सतवाणी में वर्णित मूल सिद्धांतों का विश्लेषण किया गया है तथा उनके प्रभाव को समकालीन समाज के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है। इस अध्ययन में यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार सतवाणी ने जातिवाद, धार्मिक पाखंड और सामाजिक शोषण के विरुद्ध जनचेतना को जागृत किया। विशेष रूप से, सतवाणी द्वारा ग्रामीण समाज, स्त्री सशक्तिकरण, और नैतिक मूल्यों पर डाले गए प्रभावों को विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा, आधुनिक समाज में सतवाणी की प्रासंगिकता की समीक्षा करते हुए यह दर्शाया गया है कि उनकी शिक्षाएँ आज भी सामाजिक समरसता, समानता, और सद्भाव को प्रोत्साहित करने में सहायक हो सकती हैं। अतः यह शोध गुरु घासीदास जी की शिक्षाओं और उनके सामाजिक प्रभाव को व्यापक रूप से समझने का प्रयास करता है, जिससे उनके संदेशों को वर्तमान सामाजिक परिवेश में पुनः स्थापित करने की दिशा में नई संभावनाएँ खुल सकती हैं।
Pages: 185-191 | Views: 75 | Downloads: 24Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
के. एल. टण्डन, डॉ. अजय शुक्ल. गुरु घासीदास जी के सतवाणी का सामाजिक प्रभाव: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Literacy Educ 2025;5(1):185-191.