International Journal of Literacy and Education
2025, Vol. 5, Issue 1, Part D
भारतीय बौद्धिक प्रणाली, वैदिक ज्ञान परंपराएँ और छायावादी साहित्यः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): कुमुद कुमारी
Abstract: भारतीय ज्ञान परंपराएँ वैदिक शिक्षाओं में निहित हैं, जिन्होंने देश के बौद्धिक, साहित्यिक और दार्शनिक विमर्श को गहराई से प्रभावित किया है। वैदिक शिक्षा प्रणाली मौखिक परंपरा, अनुभवजन्य ज्ञान और गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित थी, जिससे भारतीय साहित्य, विशेष रूप से हिंदी कविता के छायावादी आंदोलन को उल्लेखनीय प्रेरणा मिली। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में विकसित छायावाद आत्मान्वेषण, रहस्यवाद और प्रकृति के प्रति गहरे आकर्षण की अभिव्यक्ति करता है, जो उपनिषदों और वेदांत दर्शन से प्रभावित है। यह शोध-पत्र वैदिक ज्ञान परंपराओं, भारतीय ज्ञान प्रणाली और छायावादी साहित्य के पारस्परिक संबंधों का राष्ट्रीय शिक्षा नीति (छम्च्) 2020 के संदर्भ में समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। यह नीति पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शिक्षा में समाहित करने, मूल्यों पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने और बहु-विषयक अध्ययन को प्रोत्साहित करने पर बल देती है। छायावादी कविकृजयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी श्निरालाश्, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा की रचनाएँ भारतीय दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत को अभिव्यक्त करती हैं, जो छम्च् 2020 के भाषा, संस्कृति और नैतिक शिक्षा के उद्देश्यों के अनुरूप हैं। इसके अतिरिक्त, मातृभाषा आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करने की नीति छायावादी साहित्य की भाषाई सौंदर्यात्मकता और साहित्यिक शिक्षण में इसकी प्रासंगिकता को और अधिक सशक्त बनाती है। यह अध्ययन निष्कर्ष निकालता है कि भारतीय साहित्यिक परंपराओं को समकालीन शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करना आलोचनात्मक सोच, सृजनात्मकता और सांस्कृतिक जड़ों को सुदृढ़ करने में सहायक हो सकता है। छम्च् 2020 पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा के संतुलन को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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How to cite this article:
कुमुद कुमारी. भारतीय बौद्धिक प्रणाली, वैदिक ज्ञान परंपराएँ और छायावादी साहित्यः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Literacy Educ 2025;5(1):221-225.