International Journal of Literacy and Education
2025, Vol. 5, Issue 1, Part E
हिंदी साहित्य में छायावादी कवियों का योगदान
Author(s): राकेश, अजय शुक्ला
Abstract: हिंदी साहित्य के इतिहास में छायावाद युग का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह युग 1918 से 1936 तक का माना जाता है। इस कालखंड में रचित रचनाओं में रोमांटिक भावनाओं, कल्पनाशीलता, प्रकृति प्रेम, रहस्यवाद और आत्म-अभिव्यक्ति का विशेष प्रभाव रहा है। छायावादी कवियों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य में नवीन भावनाओं, कल्पनाओं और विचारों का संचार किया। इनकी रचनाएं आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं। छायावाद हिंदी साहित्य के विकास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। छायावादी कवियों ने अपनी रचनाओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, जिन्हें छायावाद के महाकवि के नाम से जाना जाता है, हिंदी साहित्य के इतिहास में एक अग्रणी व्यक्तित्व हैं। उनका जन्म 1896 में हुआ था और 1961 में उनका निधन हो गया। निराला जी ने कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, और आलोचना सहित साहित्य की लगभग सभी विधाओं में अपना योगदान दिया।
DOI: 10.22271/27891607.2025.v5.i1e.282Pages: 299-301 | Views: 97 | Downloads: 29Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
राकेश, अजय शुक्ला.
हिंदी साहित्य में छायावादी कवियों का योगदान. Int J Literacy Educ 2025;5(1):299-301. DOI:
10.22271/27891607.2025.v5.i1e.282