International Journal of Literacy and Education
2025, Vol. 5, Issue 2, Part D
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और छायावादी साहित्य: नवाचार एवं शिक्षण पद्धतियों का तुलनात्मक मूल्यांकन
Author(s): Seema Bhati and Arun Kumar
Abstract: यह शोध-पत्र हिंदी साहित्य के छायावादी आंदोलन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शिक्षाशास्त्रीय मूल्यों के बीच अंतर्संबंधों की गहन पड़ताल करता है। छायावादी साहित्य, विशेषतः जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा और सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की रचनाएँ, आत्मबोध, सौंदर्यबोध, नैतिकता और रचनात्मक स्वतंत्रता को केंद्र में रखती हैं। ये सभी तत्व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उन नवाचारों से प्रत्यक्ष रूप से मेल खाते हैं, जिनमें अनुभवात्मक अधिगम, कला-आधारित शिक्षा, मातृभाषा में शिक्षण और मूल्य-आधारित पद्धति को विशेष महत्व दिया गया है। यह शोध यह प्रतिपादित करता है कि छायावादी साहित्य मात्र साहित्यिक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक समग्र जीवन-दृष्टि का संवाहक है, जो विद्यार्थियों के भावनात्मक, नैतिक और सृजनात्मक विकास में सहायक सिद्ध हो सकता है। इसके समावेश से न केवल भाषा शिक्षण में गहराई आएगी, बल्कि शिक्षार्थियों में आत्मचिंतन, संवेदना और सांस्कृतिक जागरूकता जैसे गुण भी विकसित होंगे। यह शोध वर्तमान शिक्षा प्रणाली को यांत्रिकता से बाहर निकालकर उसे मानवीय, कलात्मक और समावेशी बनाने की दिशा में एक संभावित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
DOI: 10.22271/27891607.2025.v5.i2d.347Pages: 322-326 | Views: 58 | Downloads: 24Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
Seema Bhati, Arun Kumar.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और छायावादी साहित्य: नवाचार एवं शिक्षण पद्धतियों का तुलनात्मक मूल्यांकन. Int J Literacy Educ 2025;5(2):322-326. DOI:
10.22271/27891607.2025.v5.i2d.347